हरियाणवी सेल्फी प्वाईंट बने पर्यटकों की पहली पसंद
सूरजकुंड, 26 मार्च। अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेला के विरासत द्वारा तैयार किए गए ‘आपणा घर’ में सेल्फी प्वाईंट्स पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। यहां पर पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ पर्यटकों को खूब आकर्षित कर रहा है। यह जानकारी मेला प्रवक्ता ने दी।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी विरासत की ओर से ‘आपणा घर’ को हरियाणवी लोक पारम्परिक स्वरूप में तैयार किया गया है। ‘आपणा घर’ के बाहर हरियाणवी पगड़ी का पंडाल पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ, पगड़ी बंधाओ, पगड़ी ले जाओ पर्यटकों को अपनी ओर लुभा रहा है। इसके साथ ही हरियाणवी चौपाल का दृश्य जिसमें बड़े पिलंग पर एक ताऊ हुक्का पी रहा है तथा उसके पगड़ी में छोटा बच्चा बैठा हुआ है विशेष तौर पर पर्यटकों के लिए कौतुहल बना हुआ है। सभी पर्यटक हुक्के के साथ सेल्फी लेना नहीं भूलते। इसके पास में ही खड़ा हरियाणा का परिवहन का साधन रेहडू भी पर्यटकों के लिए सेल्फी प्वाइंट के रूप में खूब लोकप्रिय हो रहा है।
इतना ही नहीं ‘आपणा घर’ में लगा हुआ गंडासा भी पर्यटकों के लिए रोचक प्वाईंट के रूप में सेल्फी के लिए लोकप्रियता हासिल कर रहा है। यहां पर सांझी की 2 तस्वीरें उकेरी गई हैं। पर्यटकों के लिए दोनों सांझी विशेष रूप से आकर्षण का केन्द्र बन रही हैं। महिलाएं ‘आपणा घर’ में रखी हुई चक्की को चला-चलाकर अतीत की यादों को संजोकर सेल्फी के माध्यम से कैमरे में कैद कर रही हैं। इसके साथ अनाज कूटने के लिए रखा गया ओखल एवं मूसल भी शहरी महिलाओं के लिए सेल्फी प्वाईंट के रूप में खूब लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
इसके साथ ही विरासत-ए-हेरिटेज हरियाणा में प्रदर्शित किए गए हरियाणा का लोक पारम्परिक क्राफ्ट भी पर्यटकों के लिए सेल्फी प्वाईंट के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। इस प्रकार ‘आपणा घर’ में बनाए गए हरियाणवी सेल्फी प्वाईंट्स पर्यटकों में खूब लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
▪︎2. राष्टï्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने व स्वाबलंबी बनाने की एक महत्वपूर्ण योजना : सचिव नागेंद्र सिन्हा▪︎
-ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एवं संयुक्त सचिव ने महिला स्वंय सहायता समूहों के उत्पादों का किया अवलोकन
-उत्पादों की बिक्री बढाने के लिए महिलाओं को किया प्रोत्साहित
सूरजकुंड, 26 मार्च। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र सिन्हा एवं संयुक्त सचिव चरनजीत सिंह द्वारा शनिवार को सूरजकुंड मेला में सरस क्षेत्र में लगाए गए विभिन्न राज्यों के स्टॉल नंबर-501 से 565 का दौरा कर महिला स्वंय सहायता समूहों के उत्पादों का अवलोकन किया।
इन स्टॉलों में से कई शिल्पकारों ने राज्य एवं राष्टï्रीय स्तर के पुरस्कार भी प्राप्त किए हुए हैं, जिनके लिए यह मेला एक अच्छा प्लेटफार्म साबित हो रहा है। समूह सदस्यों द्वारा बनाए गए उत्पादों की खरीददारी बढाने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि सरकार के राष्टï्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसके माध्यम से महिलाओं को स्वाबलंबी बनने का मौका मिलने के साथ-साथ वे अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए आजीविका वर्धन करते हैं।
▪︎3.जम्मू-कश्मीर बना अंतर्राष्टï्रीय सूरजकुंड मेले का सिरमौर▪︎
-मेला परिसर में दिखाई दे रही है कश्मीर की खूबसूरती
सूरजकुंड, 26 मार्च। भारत के सिर का ताज, इस धरती की शान और देश का गौरव कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर ने 35वें अंतर्राष्टï्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में अपनी समृद्घि लोक परंपराओं की बहार लाकर इस मेले को और भी खूबसूरत बना दिया है। खूबसूरती का अंदाज सीखना है तो हमें कश्मीर ही सिखा सकता है।
मेला के मुख्य द्वार के बाद थोड़ी ही दूरी पर हमे कश्मीर के दर्शन होने लगते हैं। यहां मुख्य सडक़ के दाईं ओर एक कश्मीरी वास्तुकला को दर्शाता मकान बनाया गया है, जिसमें हम मिट्टïी का लीपा हुआ चूल्हा, दस्तरखान, बिस्तर, पिंजराकारी, फर्श, भोजनशैली, वास्तुकला, बिछे हुए मसंद, पुराने बर्तनों को देखते हैं। इसी मकान के अंदर जीना लगाकर इसे दो मंजिला आकार दिया गया है। ऊपर भी आराम के लिए बिस्तर बिछाया गया है। मकान के साथ ही एंडवेंचर्स गेम्स का सामान, स्कीईंग, जूते, टेंट, रस्सी, हेलमेट आदि को दर्शाया गया है, ताकि लोग कश्मीर आएं और माऊंटेंरिंग खेलों का आनंद उठाएं।
मेला सडक़ के दाईं ओर कश्मीर की डल लेक में तैरता हुआ शिकारा अनुकृति के रूप में विद्यमान है। जो कि जम्मू कश्मीर के हस्तशिल्प व पर्यटन विभाग का कार्यालय भी है। इसी कार्यालय में मुलाकात होती है जेएंडके आर्ट एंड क्राफ्ट की चीफ डिजाईनर आमीना जी से। बेहद सुशिक्षित व विनम्र आमीना हस्त शिल्प की कला को सुंदर-सुंदर डिजाईन से सजाती हैं।एक सफल डिजाईनर होने के अलावा स्वभाव से बेहद सौम्य आमीना ने बताया कि पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स दिल्ली, हरियाणा पर्यटन विभाग, सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और विशेष रूप से मेला अधिकारी राजेश जून की वो शुक्रगुजार हैं। जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को मेले का स्टेट थीम तो बनाया ही, साथ में उनकी पूरी टीम को अपना सहयोग दिया है। वे और उनकी टीम के सदस्य यहां आकर प्रसन्न हैं व किसी प्रकार की तकलीफ नहीं है।
आमीना ने बताया कि इस मेले में कश्मीर के तीन द्वार बनाए गए हैं। इनमें पहले गेट का नाम मुबारक मंडी है। यह मूलत: जम्मू में है और डोगरा शासनकाल में इसे बनाया गया था। इसके बाद एक वाछा गेट है। वाछा श्रीनगर के समीप रैनावारी में है और इसे बादशाह अकबर ने बनवाया था। इसी प्रकार तीसरा चश्माशाही द्वार भी पर्यटकों को श्रीनगर की याद दिलाता है। जम्मू कश्मीर में शंकराचार्य के मंदिरों की प्रतिकृति भी यहां दर्शाई गई है। आमीना ने बताया कि भारत सरकार ने कश्मीर की पश्मीना शॉल को जीआई का टैग दिया है, जोकि अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर मानक है। इस शॉल को बनाने में पूरी तरह से हाथ की कारीगरी की जाती है, कहीं भी मशीन का इस्तेमाल नहीं होता।
मेला परिसर की बड़ी चौपाल के समीप कश्मीर के कारीगर पर्यटकों के सामने ही अपने हाथ से कढ़ाई, कातने की कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके साथ आए मौहम्मद शोएब ने बताया कि जम्मू-कश्मीर से दो सौ शिल्पकारों, कलाकारों, कर्मचारी व अधिकारियों का दल सूरजकुंड मेला में आया है। इनके पास एक से बढक़र एक कारीगरी के नमूने हैं। गत वर्ष 2000 के बाद यह दूसरा अवसर है, जब जम्मू-कश्मीर को मेले का सिरमौर राज्य बनाया गया है।
▪︎4. नेत्रहीन दिव्यांगों के बनाए उत्पाद देख दर्शक हुए दंग▪︎
सूरजकुंड, 26 मार्च। नैब इंडिया सैंटर फॉर ब्लाईंड वूमेन एंड डिसेब्लिटिज स्टडीज नामक संस्था का उज्ज्वला नामक स्टॉल अत्यंत दर्शनीय है। हौजखास दिल्ली की यह संस्था नेत्रहीन दिव्यांगों से ऐसी कलाकृतियां बनवा रही है, जोकि अत्यंत सुंदर हैं। खास बात यह है कि यह आईटम बेकार कागजों को रि-साइकल करके बनाए जा रहे हैं।
मेला में 1024 नंबर स्टॉल पर खड़ी संस्था की चेयरपर्सन शालिनी खन्ना बताती हैं कि बेकार कागजों से वह डिजाईनर पोटली, कोस्टर बॉक्स, मल्टीपर्पज बॉक्स, पेपर-ट्रे, चार्मस, इयङ्क्षरग्स, ब्रैसलैट की चैन आदि बनाते हैं। नेत्रहीन दिव्यांगों के लिए काम कर रही यह संस्था महिलाओं को कंम्प्यूटर, स्पॉ, शिल्पकला, होमसाईंस और जापानी थैरेपी से मसाज करना भी सिखाती है। यह कोर्स तीन से लेकर छ: माह तक के हैं। सूरजकुंड मेले में आई सीमा व ज्योति ने बताया कि नेत्रहीन प्रशिक्षित छात्राएं बे्रस्ट कैंसर की महिला रोगी को हाथ लगाकर उसकी बीमारी की सही जानकारी आसानी से बता देती हैं। इसके अलावा संस्था के भवन में दिव्यांग युवा कैफे भी चलाते हैं। इन बच्चों के रहने, खाने की व्यवस्था संस्था स्वंय करती हैं। कोविड के दौरान भी नेत्रहीनों को इस संस्था ने सहारा दिया और इन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर स्वावलंबी बनाने का कार्य किया है।
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