फरीदाबाद। पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों को संरक्षित करने के मकसद से प्रदेश सरकार द्वारा घोषित प्राण वायु देवता योजना को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया अपने जिले में शुरू हो गई है। पुराने पेड़ों के उचित रखरखाव की इस योजना के तहत 75 साल से अधिक उम्र के पेड़ों की देखभाल करने वालों को प्रतिवर्ष 2,500 रुपये पेंशन के रूप में मिलेंगे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पर्यावरण दिवस पर इस आशय की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद वन विभाग ने ऐसे पेड़ों को चिह्न्ति करने के लिए सर्वे किया है, जो 75 वर्ष से अधिक पुराने हैं। इसी योजना के दायरे में जिले में 250 से अधिक पेड़ आ रहे हैं। घोषणानुसार पेड़ों के लिए दी जाने वाली पेंशन में बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष बढ़ोतरी भी होगी। पेड़ सरकारी विभाग की जमीन पर है तो उस विभाग के पास पेंशन जाएगी। इस राशि से पेड़ के चारों तरफ ग्रिल लगवा सकते हैं, पानी और लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा सकती है।
150 साल से अधिक पुराना है बरगद
तिगांव की भकला पट्टी में बराड़े की जोहड़ के पास बरगद का पेड़ 150 साल से अधिक पुराना है। इसकी जड़े दूर-दूर तक फैली हुई हैं। इस पेड़ का रखरखाव चंद्रपाल, सतपाल और तेजपाल कर रहे हैं। पेड़ की घनी छाया है। रास्ते के किनारे होने की वजह से आने-जाने वाले लोग इसके नीचे बैठकर आराम करते हैं। तिगांव निवासी हरीचंद नागर ने बताया कि एक ऐसा ही पेड़ भुआपुर रोड स्थित मोहन राम मंदिर के पास भी है।
100 साल पुराना है गूलर का पेड़
नीमका गांव निवासी जगबीर सिंह नागर ने बताया कि भूमिया माता के पास 100 साल पुराना गूलर का पेड़ है। भूमिया माता पर पूजा करने वाले लोग गर्मी में इस पेड़ की छाया का आनंद लेते हैं। यह जमीन पंचायती है। नागर के अनुसार विभिन्न गांवों में ऐसे कई पेड़ हैं, जिनकी उम्र 100 साल से भी अधिक है।
राजकुमार ( जिला वन अधिकारी, फरीदाबाद) का कहना है कि ऐसे पेड़ों का सर्वे किया जा चुका है। निजी लोगों सहित सरकारी जमीन पर भी इतने पुराने पेड़ हैं। इनकी सूची सरकार को भेज दी गई है। ऐसे अगर और भी पेड़ किसी की नजर में हैं, तो कृपया इस बारे में वन विभाग को सूचित करें। उनकी सत्यता पता कर उसी अनुसार योजना में शामिल किया जाएगा।
सदियों पुराने हैं कदंब और ढाक
नवादा गांव के राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में कदंब और ढाक के पेड़ सदियों पुराने हैं। पूर्व सरपंच बेगराज नागर ने बताया कि मंदिर की जमीन पर पेड़ 100 से 500 साल पुराने हैं। उनके पूर्वज अक्सर इन पेड़ों के इतिहास के बारे में बताते थे। मंदिर परिसर कई एकड़ में फैला हुआ है और आसपास के कई गांव की आस्था का केंद्र भी है।
0 Comments